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मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम के बाद अब कांगड़ा चाय को मिला GI टैग

मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम के बाद अब कांगड़ा चाय को मिला GI टैग

चाय की मांग देश के साथ साथ विदेशों तक हो रही है। भारत के हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय विदेशों तक प्रसिद्ध हो गई है। कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ के जरिए जीआई (GI) टैग हांसिल हुआ है। अब इसकी वजह से यूरोपीय संघ देशों में कांगड़ा चाय को अच्छी खासी प्रसिद्धि मिली है। आजकल केवल राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय उत्पाद अपना परचम लहरा रहे हैं। देश के संतरा, चावल, आम, सेब और गेंहू के अतिरिक्त बहुत सी अन्य फल सब्जियों को विदेशी पटल पर पसंद किया जाता है। दार्जिलिंग की चाय भी बेहद मशहूर होती है। फिलहाल, हिमाचल प्रदेश की चाय ने विदेशों में भी अपनी अदा दिखा रही है। कांगड़ा की चाय अपनी एक पहचान बना रही है। बतादें कि हिमाचल की कांगड़ा चाय को विदेश से जीआई (GI) टैग मिला है। इससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि हिमाचल की कौन सी चाय को जीआई टैग मिला है.

मुरैना की गजक और रीवा के सुंदरजा आम के बाद अब कांगड़ा चाय को मिला जीआई टैग

हाल ही में मुरैना की गजक एवं
रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिल गया है। फिलहाल, विदेश से हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिला है। यूरोपीय संघ के स्तर से कांगड़ा चाय को जीआई टैग दिया गया है। इसका यह लाभ हुआ है, कि कांगड़ा की चाय को भारत के अतिरिक्त विदेश मेें भी अच्छी पहचान स्थापित करने मेें सहायता मिलेगी। विदेशों तक इसकी मांग बढ़ने से इसकी खपत भी ज्यादा होगी। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो जाएगी।

हिमाचल की कांगड़ा चाय को किस वर्ष में मिला इंडियन जीआई टैग

आपको बतादें कि असम और दार्जलिंग में बहुत बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में भी बड़े इलाके में चाय की खेती की जाती है। हिमाचल में चाय की खेती ने वर्ष 1999 में काफी तेजी से रफ्तार पकड़ी थी। बढ़ते उत्पादन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2005 में इसको भारतीय जीआई टैग प्राप्त हुआ है। बतादें, कि चाय की खेती समुद्री तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर की जाती है।

इसमें भरपूर मात्रा पोषक तत्व पाए जाते हैं

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय में पोषक तत्वों की प्रचूर मात्रा पाई जाती है। बतादें, कि इसकी पत्तियों में लगभग 3 प्रतिशत कैफीन, अमीनो एसिड और 13 फीसद कैटेचिन मौजूद रहती है। जो कि मस्तिष्क को आराम पहुँचाने का कार्य करती है। खबरों के अनुसार, कांगड़ा घाटी में ऊलोंग, काली और सफेद चाय का उत्पादन किया जाता है। धौलाधार पर्वत श्रृंखला में बहुत से जगहों पर भी कांगड़ा चाय उगाई जाती है। ये भी पढ़े: किन वजहों से लद्दाख के इस फल को मिला जीआई टैग

जीआई टैग का क्या मतलब होता है

किसी भी राज्य में यदि कोई उत्पाद अपनी अनूठी विशेषता की वजह से देश और दुनिया में अपना परचम लहराने लगे तब भारत सरकार अथवा विदेशी सरकारों द्वारा उसको प्रमाणित किया जाता है। बतादें कि इसको प्रमाणित करने के कार्य को जीआई टैग मतलब कि जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर के नाम से बुलाया जाता है।
सेब की फसल इस कारण से हुई प्रभावित, राज्य के हजारों किसानों को नुकसान

सेब की फसल इस कारण से हुई प्रभावित, राज्य के हजारों किसानों को नुकसान

बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों को जमकर नुकसान पहुँचा रही है। हिमाचल प्रदेश में विगत 6-7 दिनोें से हो रही बारिश और ओलावृष्टि की वजह से सेब की फसलों को काफी ज्यादा हानि पहुंची है। खरीफ की भांति रबी का सीजन भी किसान भाइयों के लिए बेहतर नहीं रहा है। मार्च में हुई बारिश, ओलावृष्टि के चलते गेहूं और सरसों की फसल चौपट हो गई थी। इसके अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी बारिश-ओलावृष्टि से फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं। वर्तमान में ऐसे ही खराब मौसम की वजह से सेब के बर्बाद होने की बात सामने आ रही हैं। सेब को महंगी एवं पहाड़ी राज्यों की विशेष फसल मानी जाती है। ऐसी स्थिति में इस फसल के क्षतिग्रस्त होने के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई हैं। किसान भाई काफी परेशान हैं, कि उसके नुकसान की भरपाई किस प्रकार की जाए। यह भी पढ़ें : कृषि विज्ञान केंद्र पठानकोट द्वारा विकसित सेब की किस्म से पंजाब में होगी सेब की खेती

इस राज्य में ओलावृष्टि से हुआ नुकसान

मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हानि हो रही है। कुल्लू की लग घाटी, खराहल घाटी और जनपद के ऊपरी क्षेत्रों में फसलों को बेहद हानि हुई है। बहुत से स्थानों पर काफी बड़ी संख्या में कच्चे सेब ही पेड़ से नीचे गिर चुके हैं। यहां तक कि उनकी टहनियां तक भी टूट गई हैं।

फसल में 80% प्रतिशत तक हानि की आशंका

लगातार बारिश, अंधड़ एवं ओलावृष्टि का प्रभाव सीधे सीधे फसलों व फलों पर देखने को मिल रहा है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के माध्यम से नुकसान हुई फसल का सर्वेक्षण करना चालू कर दिया गया है। इसी कड़ी में स्थानीय किसानों ने बताया है, कि बारिश 6 से 7 दिन से निरंतर हो रही है। ऐसी हालत में 50 से 80 प्रतिशत तक हानि होने की संभावना है।

राज्य में बढ़ती ठंड और बारिश से हजारों की संख्या में किसान बर्बाद

सेब की अब फ्लावरिंग हो रही है। इस घड़ी में हुई बारिश और बढ़ी ठंड की वजह से सेब के फूलों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। फलदार पौधे, मटर,नाशपाती, प्लम सहित बाकी सब्जियों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है। खबरों के मुताबिक, घाटी में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में बागवानी हो रही है। जिससे लगभग 75 हजार परिवार प्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़े हैं। अब ऐसी हालत में इन परिवारों को भारी नुकसान हुआ है।
आर्मी से सेवानिवृत कैप्टन प्रकाश चंद ने बागवानी शुरू कर लाखों की कमाई

आर्मी से सेवानिवृत कैप्टन प्रकाश चंद ने बागवानी शुरू कर लाखों की कमाई

पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद ने बताया है, कि गेहूं एवं मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती में कोई खास लाभ नहीं है। ऐसी स्थिति में किसानों को अब बागवानी की तरफ रुख करना चाहिए। क्योंकि बागवानी के अंतर्गत कम लागत में ज्यादा मुनाफा है। दरअसल, हम जिस शख्सियत के संबंध में बात करने जा रहे हैं, उनका नाम प्रकाश चंद है। पूर्व में वह भारतीय सेना में कैप्टन के पद कार्यरत थे। रिटायरमेंट लेने के उपरांत उन्होंने गांव में आकर खेती चालू कर दी। विशेष बात यह है, कि अभी उनकी आयु 70 साल है। वे इस आयु में भी खुद से खेती कर रहे हैं। ऐसे कैप्टन प्रकाश चंद हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जनपद स्थित कैहड़रू गांव के मूल निवासी हैं। वह इस आयु में भी बागवानी कर रहे हैं।

पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद ने लगभग 2 लाख रुपये की मौसंबी बेची हैं

उनका 20 कनाल जमीन में मौसंबी का बाग है। इससे उन्हें प्रति वर्ष लाखों रुपये की आमदनी हो रही है। पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद का कहना है, कि उन्होंने गांव आकर बागबानी की शुरुआत की, तो दूसरे वर्ष उन्हें 60 हजार रुपये की आमदनी हुई। वहीं, तीसरे वर्ष में उन्होंने लगभग 2 लाख रुपये का मौसंबी बेचा। हालांकि, इस वर्ष ज्यादा बारिश की वजह से बाग को बेहद नुकसान पहुंचा है। फिर, भी उनका कहना है कि इस बार 4 लाख रुपये का मुनाफा होगा।

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बागवानी से बढ़ी पूर्व कैप्टन प्रकाश चंद की आमदनी

कैप्टन प्रकाश चंद का कहना है, कि वह वर्ष 2019 से बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने एचपी शिवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बागवानी चालू की है। एचपी प्रोजेक्ट के अंतर्गत किसानों को बागबानी का प्रशिक्षण एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। ऐसी स्थिति में उन्होंने एचपी शिवा प्रोजेक्ट के अंतर्गत बंजर पड़ी 20 कनाल भूमि पर मौसंबी एवं अनार की खेती चालू कर दी। मुख्य बात यह है, कि पूर्व कैप्टन अब अपने मौसंबी तथा अनार के बाग में सब्जी भी उगा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश के किसानों के फायदे के लिए केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया

हिमाचल प्रदेश के किसानों के फायदे के लिए केंद्र सरकार ने अहम फैसला लिया

वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने बाजार इंटरवेंशन योजना के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में किसानों से सीधे सेब की खरीद की थी। इससे किसान भाइयों को काफी घाटे का सामना नहीं करना पड़ा था। बतादें, कि उन्हें उनकी फसल का सही भाव मिला था। यही कारण है, कि अब हिमाचल के किसानों ने केंद्र सरकार के समक्ष सेब की खरीदारी शुरू करने की मांग की है। हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है। हिमाचल प्रदेश सरकार की मांग पर केंद्र सरकार ने नाफेड के माध्यम से सेब की खरीद करने के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी हिमाचल सरकार की मांग की समीक्षा करेगी। वहीं, इसके बाद केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार धान-गेहूं की भांति किसानों से नाफेड के माध्यम से सेब की खरादारी करने के लिए निर्णय ले सकती है। इससे कृषकों को सेब की अच्छी कीमत मिल सकेगी।

हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल को हानि

दरअसल, इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में
सेब की फसलों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा है। अत्यधिक बारिश होने से सेब के बहुत से बागान भूस्खलन की चपेट में आकर जमीदोंज हो गए। इससे किसानों को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ है। साथ ही, बेमौसम बारिश होने की वजह से सेब के फल भी पेड़ पर ही सड़ गए। इसके चलते भी उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में बारिश से बहुत सारी सड़कें ध्वस्त हो गईं। यही वजह है, जो बागों से सेब मंडियों तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।

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केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है

प्रदेश के स्थानीय किसानों का कहना है, कि एक तो पहले मौसम ने फसल को बर्बाद कर दिया है। अब मार्केट में सेब की सही कीमत नहीं मिल रही है। इससे उन्हें काफी घाटा उठाना पड़ रहा है। अब ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को धान-गेहूं की तर्ज पर किसानों से सेब की भी सीधी खरीदारी करनी चाहिए। यही कारण है, कि किसानों की मांग पर हिमाचल सरकार ने केंद्र से नाफेड के जरिए सेब की खरीद शुरू करने की मांग रखी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया।

हिमाचल प्रदेश की कितने प्रतिशत हिस्सेदारी है

बतादें, कि कश्मीर के उपरांत सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में किया जाता है। यह सेब की पैदावार के मामले में भारत के अंदर दूसरे स्थान पर आता है। हिमाचली सेब की आपूर्ति केवल देश में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल में भी होती है। मुख्य बात यह है, कि भारत में उत्पादित कुल सेब में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक होती है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया

भारत में आज मौसम का मिजाज कुछ बदला हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार, बहुत सारे राज्यों में आज बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है, जिसके बाद शीतलता का एहसास होगा। वहीं, केरल और तमिलनाडु में भी आने वाले दो दिनों तक भारी बारिश का अंदाजा है। नवरात्रि के दौरान दिल्ली-यूपी समेत अन्य राज्यों में भी मौसम ने तासीर बदल दी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई राज्यों में बारिश की आशंका जताई गई है। वहीं, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों में भी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में बर्फबारी शुरू हो चुकी है। केदारनाथ धाम में बीते रविवार को सीजन की पहली बर्फबारी हुई। जबकि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, मुजफ्फराबाद में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हल्की बारिश होगी। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में भी बारिश की संभावना है। इसके अतिरिक्त राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी हल्की बारिश होगी। वहीं, कोकण, गोवा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, महाराष्ट्र, बिहार समेत पं बंगाल और तटीय कर्नाटक में भारी बारिश की संभावना है।

आगामी 24 घंटों में मौसम कैसा रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार, तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। वहीं, पश्चिमी हिमालय पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश के साथ छिटपुट ओलावृष्टि संभव है। वहीं, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार में हल्की बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अतिरिक्त उत्तरी मध्य प्रदेश, दक्षिणी कोंकण एवं गोवा और रायलसीमा में हल्की बारिश की संभावना है।

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दिल्ली में आज मौसम कैसा रहने वाला है

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है, जिसके चलते अधिकतम तापमान में 3 से 4 डिग्री की गिरावट देखी जा सकती है। इसके बाद ठंड का भी एहसास होगा।

यूपी में मौसम का क्या मिजाज रहेगा

मौसम विभाग के अनुसार 17-18 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश के लगभग 50 जिलों में गरज और चमक के साथ बूंदाबांदी से हल्की बारिश की आशंका है. वहीं रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, संभल और बदायूं में गरज हल्की से मध्यम बारिश होने के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

मध्य प्रदेश में कैसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग के अनुसार, मध्य प्रदेश के बहुत सारे जिलों में हल्की वर्षा होने की संभावना जताई है। वहीं, विगत 24 घंटों के दौरान राज्य के उज्जैन, ग्वालियर , चंबल एवं जबलपुर संभागों के जनपदों में कहीं-कहीं बारिश हुई है।

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राजस्थान में मौसम कैसा रहेगा

राजस्थान में फिर से बारिश की संभावना हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस सप्ताह के आखिर तक एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना है। राजस्थान के अधिकतर क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।